Tuesday 11 July 2017

किसी का साथ चाहिए..

लड़खड़ाती हुई ज़िंदगी को,
थामने वाला हाथ चाहिए,
कुछ वक्त के लिए ही सही,
मगर किसी का साथ चाहिए..

भला कब तक समेटे पड़ा रहूँ,
खुद को इस तन्हाई में,
इस अकेलेपन से मुझको अब,
थोड़ी निज़ात चाहिए..

कोई मन का मीत नहीं है,
प्यार का संगीत नहीं है,
जीवन के इस बेसुरे राग को,
अब कोई साज़ चाहिए..

यूं अकेले रहकर भला,
किस तरह से बसर हो,
कोई तो हो 'साहेब'
जो मेरा भी हमसफर हो,
उलझी हुई जीवन की राहों में,
अब सुलझे हुए हालात चाहिए..

कुछवक्त के लिए ही सही,
मगर किसी का साथ चाहिए..
----🍁----

No comments:

Post a Comment