Thursday 27 July 2017

भरा भरा सा दिल..!!


दिल अब भरा भरा सा रहता है,
मन अब थका थका सा रहता है..
सारा दिन उलझनों में उलझा,
दम अब घुटा घुटा सा रहता है..

हाथों में अब वो ताकत नहीं,
पैरों को राहों की तलाश नहीं,
अब तो मन चाहता है,
सुकून के दो चार पल,
और तन चाहता है,
बस कुछ इत्मीनान से बीते,
मेरा आज और कल..
खबर नहीं परसों की भी,
कौन करे बात बरसों की,
यूहीं बिन बुलाये चले आते हैं,
कुछ अनचाहे विचार आसपास,
होने लगा है अब कमजोरी का एहसास..

पहले की सी सुबह अब भी होती है,
सूरज चढ़ता है, शाम ढलती है,
पर नहीं अब दिल की हालत सम्भलती है,
सारा दिन उलझनों में उलझा,
मन अब थका सा रहता है..
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