Wednesday 12 July 2017

जानता हूँ मुश्किल है..


जानता हूँ मुश्किल है,
मगर करके दिखाना है,
अब मुझको मेरी हदों के पार जाना है,
दर्द चाहे कितना भी हो,
अाज मुझको बस मुस्कुराना है..

दर्द का असर जब,
आँखों में उतर आएगा,
मुस्कुरा लुंगा थोड़ा सा,
फिर वक्त गुज़र जाएगा,
ये रूठी हुई सी जो हँसी है,
आज उसको मनाना है,
दर्द चाहे कितना भी हो...

तन्हाई है, बेबसी है,
मुस्कान को तरसे हैं,
जाने कितने ही सावन,
मेरी आँखो से बरसे हैं,
ये माना कि इन आँखों से,
आंसुओं का रिश्ता पुराना है,
मगर दर्द चाहे कितना भी हो,
आज मुझको बस मुस्कुराना है..

हदों में बंधकर,
जीवन नहीं जीना,
ज़हर मुझे अश्कों का,
अब और नहीं पीना,
हर दुख हर तकलीफ को,
बर्दाश्त करते जाना है,
दर्द चाहे कितना भी हो,
आज मुझको बस मुस्कुराना है..

क्यूँकि 'साहेब'...
अब मुझको मेरी हदों के पार जाना है..
----🍁----
..संजू

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