Saturday 8 July 2017

सोचने में क्या जाता है..


कभी कभी....
सोचता हूँ मैं क्या देखूं..??

सूरज देखूं या चाँद देखूं,
धरती देखूं या आसमान देखूं,
तारे देखूं या नज़ारे देखूं,
फूल देखूं या बहारें देखूं,
दरिया देखूं या किनारे देखूं,
लहरें देखूं या सागर देखूं,
बारिश देखूं या बादल देखूं..

फिर आँख खोलकर,
मेरी तरफ ताक रहीं,
अपने कमरे की दीवारों को ही,
देख लेता हूँ 'साहेब'..!!

#बेबसी..
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