जुबां लड़ाता है मुझसे,
सवाल जबाब करता है,
आजकल मेरा बेटा,
शैतानियां बेहिसाब करता है..
छोटा है वो अभी,
अमीरी गरीबी कहां पहचानता है,
वो तो बस आए दिन,
नई नई चीज़ों की,
ख्वाहिशात करता है..
क्यों आते नहीं मेहमां घर पे,
क्यों जाते नहीं हम कहीं घूमने,
दिनभर बस इसी तरह के,
आड़े टेड़े सवालात करता है..
मेरी समझाईशों को अभी वो,
शायद समझ नहीं पाता,
सोचता होगा कैसा बाप है,
शेरो शायरी में हर बात करता है..
मेरी बातें तो अक्सर,
घरवाली को भी समझ नहीं आतीं,
कहती है पागल हो गया ये आदमी,
दिनभर पड़ा जाने क्या क्या,
बकवास करता है..!!
----🍁----
संजू
सवाल जबाब करता है,
आजकल मेरा बेटा,
शैतानियां बेहिसाब करता है..
छोटा है वो अभी,
अमीरी गरीबी कहां पहचानता है,
वो तो बस आए दिन,
नई नई चीज़ों की,
ख्वाहिशात करता है..
क्यों आते नहीं मेहमां घर पे,
क्यों जाते नहीं हम कहीं घूमने,
दिनभर बस इसी तरह के,
आड़े टेड़े सवालात करता है..
मेरी समझाईशों को अभी वो,
शायद समझ नहीं पाता,
सोचता होगा कैसा बाप है,
शेरो शायरी में हर बात करता है..
मेरी बातें तो अक्सर,
घरवाली को भी समझ नहीं आतीं,
कहती है पागल हो गया ये आदमी,
दिनभर पड़ा जाने क्या क्या,
बकवास करता है..!!
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संजू