Wednesday 21 November 2018

ठीक नहीं..

सबको दिल का हाल सुनाना ठीक नहीं,
मानो मेरी बात ज़माना ठीक नहीं,
अपना तो किसी जनम का रिश्ता है शायद,
पर दुनिया भर को ज़ख्म दिखाना ठीक नहीं..

इज्ज़त से खाओ तो रोटी रोटी है,
ज़िल्लत से भरा आबो दाना ठीक नहीं,
उल्टे भी दे दिया करते हैं मशवरे यहां,
हर किसी की बातों में आना ठीक नहीं..

मरहम ना भी लगा सको तो ना सही,
पर ज़ख्मों पर नमक लगाना ठीक नहीं,
दिल को मेरे शब्दों से छलनी करके,
वो कहते हैं यार निशाना ठीक नहीं..

जितना पियो उतनी प्यास बढ़ाता है,
साकी तेरा ये पैमाना ठीक नहीं,
अब छोड़ो यारा रोज़ रोज़ ये दर्द के किस्से,
इनपर अपनी कलम चलाना ठीक नहीं..!!
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