एक वक्त ऐसा आता है,
जब इंसान को तन्हाई से डर नहीं लगता,
अकेले बैठना बुरा नहीं लगता,
आंखों से आंसू भी नहीं गिरते..
क्योंकि हम तब ऐसे हो जाते हैं,
कि कोई बात करे तो भी ठीक,
ना करें तो भी ठीक..!!
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जब इंसान को तन्हाई से डर नहीं लगता,
अकेले बैठना बुरा नहीं लगता,
आंखों से आंसू भी नहीं गिरते..
क्योंकि हम तब ऐसे हो जाते हैं,
कि कोई बात करे तो भी ठीक,
ना करें तो भी ठीक..!!
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