Sunday 6 August 2017

टूटा हुआ दिल..!!


कोई कैसा है हम सफर,
ये अंदाज़ा मत लगाओ,
वक्त बता देगा खुद ब खुद,
तुम बस अपना फर्ज़ निभाओ..

जो मतलबों की यारी है,
जो उम्मीदों के रिश्ते हैं,
डूब ही जाने हैं एक दिन,
जब चलेगी मुसीबतों की नाव...

ये ज़रूरी तो नहीं है,
कोई हमेशा ही रहे साथ,
ये सफर की दोस्ती है साहेबान,
इसे रोग मत बनाओ...

बहुत मिल जाऐंगे ज़िंदगी में
खुशी में साथ देने वाले,
मगर साथी तो वही है सच्चा,
जिसको दिख जाऐं तुम्हारे घाव..

मिल चुकी है कई बार,
वफादारी की सज़ा मुझे,
फिर से भरोसे की उम्मीद देकर,
मेरे ज़ख्मों को ना सहलाओ..

धोखे के अनगिनत तीरों से,
बिखर चुका है वज़ूद मेरा,
भूल गया हूँ खुद को कब का,
मुझे आईना मत दिखाओ..

कोई कैसा था, कोई कैसा है,
हर इंसान अलग है यहां,
जिनसे तुम्हारा दिल ना मिले,
उनसे हाथ भी मत मिलाओ..

मुझे क्या हक है साहेब,
कि मैं किसी और से खुशियां मांगू,
मैं दर्दो गम में जी लुंगा अपने,
मुझे हमदर्दी मत जताओ..

सुना है महारत हासिल है तुम्हें,
रिश्ते तोड़ने और जोड़ने में,
ये रहा मेरा टूटा हुआ दिल,
ज़रा इसे जोड़कर दिखाओ..
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