इस कदर ना किसी को सताया करो,
वक्त पर कभी तो मिलने आया करो..
बड़े मशरूफ रहते हो, ये मालूम है मगर,
कभी तो हमें भी याद कर जाया करो.
भले सामने हो तुम्हारे कोई भी कश्मकश,
हालात ए दिल अपना, हमें भी सुनाया करो..
ये माना कि रहते हैं तुम्हारे घर से बहुत दूर हम,
मगर हाल हमारा, कभी तो पूछ जाया करो..
पहले झांको तुम अपने दिल में,
उंगलियां यूं ना हमपे उठाया करो..
शायरी करने से तो पेट भरने वाला नहीं,
कैसे चलेगा साहेब.. कुछ तो कमाया करो..!!
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